स्नेह और आशीर्वाद के साथ

17 जून 2018

पापा, आप असली हीरो हो


आज फादर्स डे मनाया जा रहा है. सभी इसे मना रहे हैं तो हमने भी सोचा कि हम भी फादर्स डे मना लें. अब सिर्फ ‘हैप्पी फादर्स डे’ कह देने का मन नहीं हुआ. विचार आया कि कोई गिफ्ट दिया जाये. जब गिफ्ट देने का विचार आया तो फिर ये भी सोचा कि बाजार के बने-बनाये गिफ्ट नहीं देंगे अपने पापा को बल्कि कुछ बनायेंगे, खुद ही.


जल्दी-जल्दी घर में सामान खोजा गया. जल्दी इसलिए ताकि पापा को पता न चल जाये कि हम उनके लिए कुछ बना रहे. बनाना भी कुछ ऐसा था जो उनके काम आये और देखने में भी अच्छा लगे. चूँकि उनके पास पेन बहुत सारे हैं और वे उनको खूब संभाल कर भी रखते हैं. सो उनके लिए पेन रखने का स्टैंड बनाने की सोची. ऐसा पेन स्टैंड जिसमें पेन रखे भी जा सकें और सुरक्षित भी रखे जा सकें.


घर के बेकार पड़े सामानों में एक खाली डिब्बा मिल गया. उसी को अपने आर्ट पेपर से सजाया और एक छोटे से कार्ड में मैसेज लिखकर पापा को भेंट किया.

हाँ, मैसेज तो पढ़ लीजिये आप भी कि क्या लिखा हमने...
You are my ideal person. When you play with me I feel very well. I really love you papa. You are my real hero.



10 मई 2018

झाँकी हमारे जन्मदिन पार्टी की...

ये तो पहचान ही गए होंगे आप लोग? जी हाँ, केक ही है...

ये भी बताने की जरूरत न हो...

ये हैं हमारी बहिनें, दोस्त... केक काटने में सहयोगी...

कोई बड़ा आकर केक खिलाये, सो चाची आईं सबसे पहले...

फोटो खिंचाने चाचा भी आ गए...

दादी ने हमारा तिलक किया और हमने दादी को केक खिला दिया...

साथ में बाबा भी... 

दादी ने किया तिलक...

गिफ्ट भी मिलते हैं जन्मदिन पर... दोस्तों ने दिए भी...

चाचा-चाची के साथ... 

तीनों बहिनें... 

ये है नन्हीं शैतान टोली... 

बुआ ने भी किया टीका... 

धमाल मंडली... 

भैया-दीदी... 

मम्मी-पापा के साथ भी एक फोटो... 

अरे वाह... 

बर्थ डे पार्टी के बाद का धमाल... 

हमारे जन्मदिन की पार्टी... 07-05-2018
हमारे अपने घर में, उरई.

29 अप्रैल 2018

पेन्सिल में छिपी है प्रकृति

 


ये पेन्सिल देख रहे हैं आप, ये हमारी मौसी लाईं थीं. अब आप कहेंगे कि ऐसा क्या है इन पेन्सिल में कि हमने आपको दिखाया. असल में ये साधारण सी दिखने वाली पेन्सिल साधारण ही नहीं हैं. इनमेंa देखिये, सबसे अंत में हरे रंग का एक हिस्सा दिख रहा है. जी हाँ, यही हिस्सा बहुत महत्त्वपूर्ण है. 

असल में इन पेंसिलों में इसी हरे रंग में कुछ बीज रखे गए हैं. हाहाहा... हैरान हो गए न आप सब! हम भी हुए थे, जब मौसी ने इस बारे में बताया था. इन पेंसिलों को उपयोग करिए, खूब लिखिए और जब ये बहुत छोटी रह जाएँ मतलब इतनी छोटी कि इनसे लिखा न जा सके तो इसी हरे भाग को जमीन में मिट्टी में या फिर किसी गमले में मिट्टी में तिरछा करके लगा दिया जाए. 

अब आप लोग हम पर हँस रहे होंगे कि कहीं पेन्सिल भी जमीन में या फिर गमले में लगाये जाने वाली चीज है. जी हाँ, यही असल बात है. इस बचे हुए हिस्से को जब जमीन में या फिर गमले में लगा दिया जायेगा और उसमें दो-तीन दिन पानी दिया जायेगा तो ये हरा भाग गल जाएगा. इस हरे हिस्से के गलने के बाद उसमें सुरक्षित रखे गए बीज मिट्टी में मिल जायेंगे. यही बीज कुछ दिन में अंकुरित हो जायेंगे. 

अब आपको सब समझ आ गया होगा. जब ये बीज अंकुरित हो जायेंगे तो पौधे का रूप धारण करेंगे. इससे एक लाभ तो ये होगा कि हमें किसी विशेष पौधे से परिचय मिल जायेगा. अभी हमने आपको जो चित्र दिखाया है उसमें सूरजमुखी के और टमाटर के बीज सुरक्षित रखे हैं. पेंसिलों पर लिखा भी है कि कौन से बीज उसमें रखे हुए हैं. 

हमने तो लिखना शुरू कर दिया है. जल्दी से पेन्सिल ख़तम हो और हम अपने गमले में कोई पेन्सिल लगाकर उससे पौधा बनता देखें. आप लोग भी ऐसी पेंसिलों को अपने बच्चों को लाकर दीजिये. यदि बाजार में न मिले तो पेन्सिल न सही किसी न किसी पौधे के बीज लगाइए, कोई न कोई पौधा लगाइए. 

आइये, इसी बहाने हम सब अपना पर्यावरण सुरक्षित करें. 

09 जनवरी 2018

वापसी अपने ब्लॉग पर


कई वर्षों के बाद हम फिर वापसी कर रहे हैं, अपने ब्लॉग पर. इधर सोशल मीडिया पर तो हम सक्रिय रहे, अपने पिताजी के कारण... अब हम लिखने-पढ़ने-समझने लगे हैं तो हम ही लिखेंगे.

अभी इस चित्र के साथ, जो हमने खुद बनाया है.