ऐसा हमने चोरी से नहीं किया। पिताजी के सामने किया, उनकी अनुमति से।
आप देखिये और बताइये कि कैसी हैं फोटो? मोबाईल से तो बहुत बार फोटो खींचीं पर कैमरे से पहली बार खींच रहे हैं..........पता नहीं कैसी होंगी।
ये तो हमारे पिताजी के पढने की मेज है। पता नहीं कितना ढेर सारा सामान रखते हैं इस पर। आप भी देख लो।
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इनको तो आप पहचान ही रहे हैं....ये तो कुर्सियां हैं। खींचना तो पूरी कुर्सी का था पर जितनी आई है उसमें बैठा ज सकता है...
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ये तो हमें ही नहीं पता कि खींचना क्या था और खिंच क्या गया। वैसे कुर्सी का पैर और बोतल साफ़ दिख रही है। कहा जाए तो स्टायलिश फोटो है ये.........=========================
ये कुछ ठीक आई है। कमरे में टंगे कलेंडर के बेबी की फोटो लेनी थी, आ गई पर थोड़ी सी टेढ़ी है....पर ठीक है। है न?=========================
हमारी बहिन पौच जी और दादी.....ये सही आई। पता कैसे इसमें हमारा हाथ पिताजी ने पकड़ लिया था फिर भी दादी कट गईं है, फोटो में।==========================
पिताजी की खींचना थी कम्प्यूटर सहित पर न तो कम्प्यूटर सही से आया और न ही पिताजी की फोटो सही आई। यहाँ सब गड़बड़ हो गई।अब दोवारा जब सही फोटो खींचेंगे तो आपको फिर दिखायेंगे।